Friday, 10 January 2020

गोर्खा दर्पण र NRC एक विचार

॥ NRC उन्नतिकरण एंव भारतीय गोर्खा ॥
भारतीय गणराज्य के उत्तर-पूर्व स्थित सांस्कृतिक राज्य असम मे वर्तमान राष्ट्रीय नागरिक पञ्जी का काम जोरो से चल राहा है, पर यह प्रक्रिया मे मूलभूत रुप से भारतीय गोर्खाओं की अवमानना चल रहि है अनोपचारीक तरीके से, उच्चतर न्यायालय के देखरेख मे परिचालित NRC प्रक्रिया मे जो oi( originally inhabitant) स्थायी निवासी का शब्द उद्भव होवा है उसमे गोर्खाओं को सामील नहि किया जाराहा पर क्यों?
* भारतीय उपमाहाद्वीप मे सन १६१२ सेही रहने वाले हम लोगोको क्यों असम सरकार प्रवासीके रुप मे देख रहि है, ओपचारिक रुप से सुगौली संधी के तहत भुमीके साथ ४मार्च १८१६ भारतीय उपमाहाद्वीप मे सामील होने वाला हम केसे भारतीय नही?
* जिस देश की सरकार सर्वभारतीय रुप से भारत के संसद भवन पर मेजर दुर्गा मल्ल को स्थान देतीहै, त्रिलोचन पोखरेल( स्वतंत्रता संग्रामी) जी को गान्धी पोखरेल कि उपाधि देकर भारतीय गोर्खाओ को गौराम्भीत कर भारती शहिदोकि रुप मे सामिल करती है आज उसी गणराज्य के उत्तर-पूर्व असम मे हमे विदेशी या प्रवासी कि नजरों से देखाजारा है क्यो?
* १९४७ के १४ आगष्ट मध्य रात्रि मे भारतीय गणराज्य के गठन से पहलेही जो सम्प्रदाय भारतीय उपमाहाद्वीप मे ही ईस देश मे भुमि सहित सामिल होकर यह देश कि परंपरा एंव सभ्यता के साथ पूर्णत विलीन हो ,भारतीय मुल का हुवा वह सम्प्रदाय आज केसे विदेशी हो सकता है ।
* अखण्ड भारतीय उपमाहाद्विप मे विलीन हो कर यह देश के विकास, संरक्षण, तथा स्वतंत्रता आन्दोलन मे खुदको पहले भारतीय कह देश के लिये समर्पित होने वाले हम केसे आज विदेशी हो सकते है क्या यह हमपे अन्याय नही? हमारे बलिदान एंव देशभक्ति पर प्रश्न चिन्ह नहीं ?
* भारत गणराज्य होने के बाद संविधान सभा के लिये मनोनीत अरिबाहादुर गुरुङ, राष्ट्रीय शहिद मेजर दुर्गा मल्ल, त्रिलोचन पोखरेल, डम्बरसिंग गुरुङ,छविलाल उपाध्याय एंव अन्य अनेको अलिखित स्वतंत्रता संग्रामी यो का अपमान नही है यह ?
* जिस देश के बङगाल मे गोर्खाओं को भुमीपुत्र का मान्यता मिला है, भारत सरकार ने जिस सम्प्रदाय को सर्वभारतीय रुप से ST कि मान्यता देनेके लिये अशोक पाय जी के नेतृत्व मे एक समिति का गठन किया है आज वह सम्प्रदाय केसे विदेशी या अस्थायी निवासी हो सकता है?
* जिस NRC को असम के गोर्खाओं ने समर्थन किया अाज उनपर अन्याय क्यो? क्या यह असम आन्दोलन के ८५५ शहिदो मे शहीद होने वाले, ८५) धन बा:छेत्री,१८२)कुल बा: छेत्री ,१८७) पद्म बा: छेत्री,४४६) खिरोद बा: तामाङ,६६३) विजयन्ती देवी, ७२७) भिम बा: तामाङ, के बलिदान एंव देश भक्ति पर प्रश्न चिन्ह नही? जिनोने असम मातृ कि रक्षा मे अपना आत्मबलिदान दिया था ।
* भारत के सीमा से लेकर भरत के आभ्यान्तरिन विकास के हक मे खुदको भरतीय कह सिना चोड़ा कर्ने वाले हम पर चलराहा(original
ly inhabitant) स्थायी निवासी एंव अस्थायी निवासी का व्यवस्था हम पर अनैतिक अन्याय है, कृपया हमे न्याय दे
* हमे हमारा अधिकार oi चाहिए NRC मे कृपया वह हमे प्रदान करे, ,,
धन्यवाद
जय हिन्द
जय गोर्खा
जयतु जननी असम भुमि ॥

रजत भारद्वाज ,शोणितपुर असम
17 June

1 comment:

  1. क्यों हमें उपेक्षित किया जा रहा है ? हमारा देशप्रेम, त्याग और बलिदान को क्यों अनदेखा किया जा रहा है; केन्द्र सरकार को इस पर अतिशीघ्र ध्यान देकर संवंधित सरकारी कार्यालयों पर धनात्मक आदेश पारित करना अत्यावश्यक है जिस से हमारा मनोबल में कोई कमी न आए.......

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परिचय

गोर्खा दर्पण छाया

गोर्खा दर्पण छायाको उद्देश्य भारत तथा विश्व भरिनै छरियेर बसेका गोर्खा हरुको एक हुने मञ्च हो, जस्मा साहित्य, समाचार लगायत अन्य अनेको समसामयिक...